1.कृष्णा किसका नाम था?
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द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से
हुआ था। द्रौपदी ने पति पाने की कामना से तपस्या की। भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर
देने की इच्छा की। उसने शंकर से पांच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है।
शंकर ने कहा कि अगले जन्म में उसके पांच भारतवंशी पति होंगे, क्योंकि
उसने पति पाने की कामना पांच बार दोहरायी थी।
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द्रोपदी
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अर्जुन
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भीम
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18
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महाभारत की प्रबन्ध योजना में सम्पूर्ण ग्रन्थ को अठारह
पर्वों में विभक्त किया गया है और महाभारत में भीष्म पर्व के अन्तर्गत वर्णित
श्रीमद्भगवद्गीता में भी अठारह अध्याय हैं।
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18
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वभ्रुवाहन
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धृष्ट दुंन
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सहदेव
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पुरोचन
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पुरोचन
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सुरसा
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हिडिंबा
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अमोघ
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अर्जुन को गांडीव धनुष अत्यधिक प्रिय था। उसने प्रतिज्ञा
की थी कि जो व्यक्ति उसे गांडीव किसी और को देने के लिए कहेगा, उसे
वह मार डालेगा।
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गाँडीव
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पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक। पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र। इसे
आधुनिक कंधार से जोड़ने की ग़लती कई
बार लोग कर देते हैं, जो कि वास्तव में इस
क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था। इस प्रदेश का मुख्य केन्द्र आधुनिक पेशावर और आसपास के इलाके थे।
इस महाजनपद के प्रमुख नगर थे -
पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा तक्षशिला इसकी राजधानी थी। इसका
अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा। कुषाण शासकों के दौरान यहाँबौद्ध धर्म बहुत फला फूला पर बाद
में मुस्लिम आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया।
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गांधार
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द्रुपद, पांचाल के राजा और परिशत के
पुत्र थे। ये शिखंडी, धृष्टद्युम्न व द्रौपदी के पिता थे। भीष्म, द्रोणाचार्य, और
द्रुपद परशुराम के शिष्य थे। शिक्षा
काल में द्रुपद और द्रोण की गहरी मित्रता थी। द्रोण ग़रीब होने के कारण प्राय:
दुखी रहते थे, तो द्रुपद ने उन्हें
राजा बनने पर आधा राज्य देने का वचन दिया था, परंतु
कालांतर में वे अपने वचन से न केवल मुकर गए वरन उन्होंने द्रोण का अपमान भी
किया।
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द्रुपद
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कुवलिया पीढ़
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चाणूर
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महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा नामक हाथी को भीम ने मार दिया और यह शोर
किया कि, अश्वत्थामा मारा गया।
चूँकि द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम भी अश्वत्थामा था और यह भी निश्चित था
कि, अपने पुत्र से प्रेम
करने के कारण द्रोणाचार्य अश्वत्थामा की मृत्यु का सामाचार सुनकर स्वयं भी प्राण
त्याग देगें। इसलिए कृष्ण की योजनानुसार यह पूर्व
नियोजित ही था।
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अस्वत्थामा
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वेदव्यास भगवान नारायण के ही कलावतार थे।
व्यास जी के पिता का नाम पराशर ऋषि तथा माता का नाम सत्यवती था। जन्म लेते ही
इन्होंने अपने पिता-माता से जंगल में जाकर तपस्या करने की इच्छा प्रकट की।
प्रारम्भ में इनकी माता सत्यवती ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु
अन्त में इनके माता के स्मरण करते ही लौट आने का वचन देने पर उन्होंने इनको वन
जाने की आज्ञा दे दी।
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वेदव्याष
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कभी नहीं
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एक बार
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दो बार
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तीन बार
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महाभारत युद्ध में गान्धारी ने अपनी आँखों की पट्टी
दो बार खोली थी। प्रथम बार उन्होंने दुर्योधन को आशीर्वाद स्वरूप
वज्र का शरीर प्रदान करने के लिए नग्न अवस्था में देखा। इसके लिए उन्हें अपनी
आँखों की पट्टी खोलनी पड़ी। जब महाभारत का युद्ध अपने अंतिम समय में था, भीम द्वारा दुर्योधन की
जंघा तोड़ दी गई और वह भूमि पर पड़ा अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था, गान्धारी
ने अपनी आँखों की पट्टी को खोल दिया और वह रणभूमि में दौड़ी आई। उनका एकमात्र
जीवित पुत्र दुर्योधन भी अब अपनी अन्तिम साँसे ले रहा था।
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2 बार
Very nice post sir i am your fan. i read your written post everyday.sir plz chek my new post Ghatothkach
ReplyDeleteइसका पीडीएफ कैसे प्राप्त होगा
ReplyDeleteBhut achhe question the. Thank u
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